IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने ‘सिंधुजा-I’ ओशन वेव एनर्जी कन्वर्टर विकसित किया

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दोस्तों ,अगर हमें भारत के शिक्षा संस्थानों में एक ऐसे संस्थान का नाम लेने को बोला जाए, जो भारत का नाम गर्व से ऊंचा करने, भारतीय युवाओं को योग्य बनाने, उनकी समझ को विकसित करने, एक बेहतर भविष्य निर्माण करने में सबसे अधिक भूमिका निभाता हो, तो संभवत ज्यादातर लोग भारतीय औद्योगिक संस्थान ( IIT) का ही नाम लेंगे। Indian institute of technology को “भारतीय शिक्षा संस्थानों का रीड “कहा जाए, तो गलत नहीं होगा।
आईआईटी सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि इससे संबंधित एवं अन्य क्षेत्रों में भी अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह कई तरह शोध से जुड़े कार्यों में, नए तथा पुराने समस्याओं के उपाय की खोज, नए-नए आविष्कार में तथा कई तरह की सर्वेक्षण का रिपोर्ट भी जारी करने का काम करता है।

सिंधुजा-I' ओशन वेव एनर्जी कन्वर्टर
source –Knowledge Media

क्या है ओसियन वेव एनर्जी कनवर्टर ?

हाल ही में IIT मद्रास के द्वारा ओसियन वेव एनर्जी कनवर्टर (Ocean wave energy convertor) सिंधुज प्रणाली को विकसित किया गया।

यह समुद्र तरंगों से बिजली उत्पन्न करेगा।
इसका नाम सिंधुजा रखा गया है, जिसका अर्थ समुंद्र से उत्पन्न होता है।

सिंधुजा प्रणाली

इसे आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता अब्दस समद (तरंग ऊर्जा विशेषज्ञ) के देखरेख में विकसित किया गया।
इसका परीक्षण नवंबर 2022 में सफलतापूर्वक किया गया। वर्तमान समय में यह 100 वाट बिजली उत्पन्न करने में सक्षम है और इसका लक्ष्य अगले 3 सालों में 1 MW बिजली उत्पन्न करने का है।

सिंधुजा प्रणाली उपकरण को तमिलनाडु के तूतीकोरिन से 6 किलोमीटर दूर समुंद्र के अंदर 20 मीटर की गहराई में तैनात किया गया।

कैसे काम करेगी ओसियन वेब एनर्जी कनवर्टर

सिंधुजा प्रणाली उपकरण में एक फ्लोटिंग बॉय(bouy), एक स्पर तथा एक इलेक्ट्रिक मॉड्यूल है।
फ्लोटिंग बॉय की आकृति गुब्बारे जैसा है, जो की लहरों के उपर नीचे होने से यह भी उपर नीचे होती है, इस गुब्बारेनुमा आकृति के केंद्र में एक छिद्र है जिससे एक छड़ गुजरता है, जिसे स्पर कहा गया है जो कि आगे इलेक्ट्रिक मॉड्यूल से जुड़ा हुआ होता है।

प्रोफेसर अब्दुल समद ने इस उपकरण के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि भारत के तट रेखा की लंबाई 7500 अधिक है जिससे 54 GW बिजली उत्पन्न किया जा सकता है।

दिसंबर 2023 शोधकर्ताओं ने एक दूरस्थ जल अलवनीकरण प्रणाली और एक निगरानी कैमरा तैनात करने की योजना बना रखी है। अभी तक ऐसा उपकरण विकसित नहीं हुआ जो इस सिंधुजा प्रणाली से उत्पन्न बिजली का उपयोग कर सकें।

इस सिंधुजा प्रणाली से होने वाला लाभ

इस बिजली उत्पादन प्रणाली से UN महासागर दशक और सतत विकास लक्ष्य के उद्देश्यों को पूरा करने में आसानी होगा, इसमें भारत का लक्ष्य गहरे जल मिशन, स्वच्छ ऊर्जा और नीली अर्थव्यवस्था है।
भारत सरकार का लक्ष्य साल 2030 तक 500 गीगाबाइट उर्जा का उत्पादन नवीकरणीय रूप से करने का है जिसमें इस उपकरण के द्वारा काफी सहयोग मिलेगा।
यह उपकरण स्वच्छ एवं प्रदूषण रहित बिजली उत्पादन का साधन है इसके साथ ही यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।

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FAQ

ओसियन वेब एनर्जी कनवर्टर क्या है ?

ओसियन वेब एनर्जी कनवर्टर यह समुद्र तरंगों से बिजली उत्पन्न करेगा।

ओसियन वेब एनर्जी कनवर्टर को किसके द्वारा विकसित किया गया ?

इसे आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता अब्दस समद (तरंग ऊर्जा विशेषज्ञ) के देखरेख में विकसित किया गया।


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