दोस्तों ,आज के समय में ऊर्जा विश्व भर में सबसे प्रमुख चर्चित शब्दों में से एक है। ऊर्जा की समस्या, ऊर्जा के नए स्रोत ऊर्जा प्रदूषण इससे संबंधित प्रमुख मुद्दा है, विश्व के कई देशों के बीच तनाव का एक कारण के रूप में कहीं ना कहीं ऊर्जा भी है। विश्व के करीब 80 परसेंट ऊर्जा की प्राप्ति जीवाश्म ईंधन ( कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस) से होती है। इस ईन्धन के साथ समस्या यह है कि आने वाले समय में समाप्त हो सकते हैं तथा इससे काफी अधिक मात्रा में प्रदूषण उत्पन्न होता है। इसीलिए ऊर्जा के नए, नवीकरणीय एवं प्रदूषण रहित स्रोतों के विकास एवं खोज पर लगातार शोध एवं अनुसंधान होते रहते हैं।

पिछले दिनों 13 दिसंबर को अमेरिका के वैज्ञानिकों ने नाभिकीय संलयन के माध्यम से ऊर्जा प्राप्ति के क्षेत्र में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की।
यह प्रयोग कैलिफोर्निया के (lawrence livermore National laboratury) में किया गया।
न्यूक्लियर फ्यूजन के माध्यम से ऊर्जा प्राप्ति
प्रयोग की प्रकिया:- नाभिकीय संलयन(Nuclear Fusion) के माध्यम से ऊर्जा प्राप्ति के लिए 1950 से ही शोध आरंभ हो गया था। परंतु इस क्षेत्र में अभी तक कोई विशेष सफलता नहीं प्राप्त हुई थी। इस प्रयोग में कई बार अभिक्रिया के लिए दिए गए खपत ऊर्जा के जितना ही या उससे कम ही ऊर्जा प्राप्त होती थी।
अमेरिका के इस वैज्ञानिक प्रयोग में जड़त्व संलयन(inertial fussion) के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त की गई।
इसमें लेसर (lesser) के माध्यम से हाइड्रोजन के दो समस्थानिक डेट्यूरिम तथा ट्रिटियम को आपस में संलयन कर हीलियम तथा न्यूट्रॉन को उत्पन्न कर ऊर्जा प्राप्त किया गया। इस प्रक्रिया में लेजर के माध्यम से 2.1 मेगा जूल की ऊर्जा खपत की गई तथा 2.5 मेगा जुल की ऊर्जा प्राप्त की गई, जोकि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
अगर सब कुछ सही रहा, तो आने वाले समय में खपत की तुलना में प्राप्त ऊर्जा कई गुना बढ़ सकती है, जोकि ऊर्जा के क्षेत्र में एक क्रांति के तौर पर होगी।
नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) से प्राप्त ऊर्जा से लाभ:-
- नाभिकीय संलयन से प्राप्त ऊर्जा आने वाले समय में ऊर्जा प्राप्ति का एक प्रमुख स्रोत होगा।
- यह अन्य स्रोत की तुलना में काफी अधिक उर्जा उत्पन्न करेगा।
- प्रदूषण मुक्त तथा कार्बन फ्री ऊर्जा के प्राप्ति का स्रोत है।
- इससे विकिरण (radiation) खतरा ना के बराबर होगा।
- यह नाभिकीय विखंडन की तरह नाभिकीय कचरा नहीं निकलता है।
- इसके बड़े पैमाने पर सफल होने से नेट कार्बन उत्सर्जन शून्य (भारत – 2070 ) की उपलब्धि को पूरा करने में आसानी होगा।
नाभिकीय संलयन से ऊर्जा प्राप्त करने में समस्या: –
- इस प्रक्रिया के सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके अभिक्रिया कराने के लिए आवश्यक तापमान सूर्य के केंद्र के तापमान का 10 गुना (150 million degree celsius) होना चाहिए।
- अभिक्रिया के लिए खपत ऊर्जा की मात्रा भी काफी अधिक होती है।
- इस प्रयोग से प्राप्त ऊर्जा अभिक्रिया के लिए दिए गए खपत ऊर्जा की तुलना में अधिक होनी चाहिए।
- प्रक्रिया को किसी प्रयोगशाला में करना कुछ हद तक संभव है परंतु ऊर्जा की बड़े स्तर पर प्राप्ति के लिए इसका प्रयोग करने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में मशीनरी की आवश्यकता पड़ेगी।
नाभिकीय ऊर्जा की प्राप्ति के दो प्रमुख प्रक्रिया।
नाभिकीय विखंडन (nuclear fission) :-
इस प्रक्रिया में बड़े नाभिक वाले परमाणु पर न्यूट्रॉन के द्वारा बमबारी की जाती है जिससे बड़े नाभिक वाला परमाणु छोटे-छोटे नाभिक वाले परमाणु में टूट जाता है और इससे काफी अधिक मात्रा में ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
इसमें ईंधन के रूप में यूरेनियम प्लूटोरियम का उपयोग होता है। परमाणु भट्टी से ऊर्जा प्राप्ति तथा परमाणु बॉम्ब का निर्माण इसी प्रक्रिया से हुआ है।

नाभिकीय संलयन ( nuclear fusion) :-
इसमें छोटे-छोटे नाभिक वाले परमाणु जोड़कर बड़े नाभिक वाले पर परमाणु का निर्माण करते हैं, इससे प्राप्त ऊर्जा नाभिकीय विखंडन की तुलना में बहुत अधिक होती है तथा इस प्रक्रिया को कराने के लिए ऊर्जा की खपत मात्रा बहुत अधिक होती है। इसी प्रक्रिया से सूर्य तथा अन्य तारों में ऊर्जा उत्पन्न होती है।

ITER (international theemonecluer experimental reactor):-
अंतरराष्ट्रीय तापनाभिक्रिय प्रायोगिक संयंत्र की स्थापना फ्रांस में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अंर्तगत 35 देशों के द्वारा 1985में किया गया। जिसका उद्देश्य ऊर्जा की समस्या को परमाणु संलयन की माध्यम से सस्ती, प्रदूषण विहीन, असीमित ऊर्जा उत्पन्न करना है। भारत भी इसका भागीदार है।
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FAQ
नाभिकीय विखंडन(Nuclear Fission) के जरिए ऊर्जा प्राप्त कैसे होती है ?
इस प्रक्रिया में बड़े नाभिक वाले परमाणु पर न्यूट्रॉन के द्वारा बमबारी की जाती है जिससे बड़े नाभिक वाला परमाणु छोटे-छोटे नाभिक वाले परमाणु में टूट जाता है और इससे काफी अधिक मात्रा में ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
नाभिकीय संलयन(Necluar Fusion) के जरिए ऊर्जा प्राप्त कैसे होती है ?
इसमें छोटे-छोटे नाभिक वाले परमाणु जोड़कर बड़े नाभिक वाले पर परमाणु का निर्माण करते हैं, इससे प्राप्त ऊर्जा नाभिकीय विखंडन की तुलना में बहुत अधिक होती है तथा इस प्रक्रिया को कराने के लिए ऊर्जा की खपत मात्रा बहुत अधिक होती है। इसी प्रक्रिया से सूर्य तथा अन्य तारों में ऊर्जा उत्पन्न होती है।