दिमाग खाने वाला अमीबा, 2023 पर मंडराता नया काल। Brain eating Ameba,नेगलेरिया फाउलेरी।

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दिमाग खाने वाला अमीबा,Kya hai brain eating Ameba,what is brain eating ameba,नेगलेरिया फाउलेरी

मानव जीवन प्रारंभ से ही अनेक समस्याओं का सामना करते आ रहा है, यह समस्या खाने – पीने, निवास स्थान, प्राकृतिक समस्या, सामाजिक, शारीरिक एवं मानसिक किसी भी रूप में हो सकती है। मनुष्य अपनी बुद्धि, आविष्कार, क्षमता के आधार पर इन समस्या को सुलझाता है या सुलझाने का प्रयास करता रहता है। कुछ समस्या मानव जीवन को कुछ समय के लिए तथा कुछ समस्या लंबे समय के लिए प्रभावित करता है।

Brain eating ameba
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समस्या समय के साथ कभी आसानी से, तो कभी कई सारी मुश्किलों का सामना करने के बाद सुलगती है।
समस्या सुलझने पर मनुष्य को खुशी मिलती है, अपनी क्षमता पर गर्व होता है, परंतु मानव जीवन में एक समस्या सुलझने के बाद पहले से ही दूसरी समस्या मौजूद रहती है या उत्पन्न हो जाती है, इसे सुलझाने के लिए लगातार कोशिश होता रहता है।
ऐसे ही एक समस्या है बीमारी मनुष्य ने आज तक कई सारी बीमारियों पर अपना नियंत्रण प्राप्त कर चुका है या उसके रोकथाम के उपाय की खोज कर चुका है, परंतु अभी भी कई सारे ऐसे ही बीमारी है जिसकी रोकथाम का उपाय मनुष्य के पास नहीं है।

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क्या है Brain Eating Amiba ?

पिछले दिनों दक्षिण कोरिया में दिमाग खाने वाले अमीबा (brain eating amiba) से फैलने वाली दुर्लभ संक्रामक बीमारी से एक 50 वर्षीय व्यक्ति की मौत की खबर सामने आई है।
यह संक्रमण प्रथमिक अमीबिक मेंनिगोएन्सेफलाइटिस कहलाता है।

कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी (KDCA) ने मौत की वजह नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा को बताया जिससे ब्रेन eating अमीबा भी कहते हैं।
यह व्यक्ति पिछले 4 माह से थाईलैंड में रह रहा था तथा 10 दिन पूर्व थाईलैंड से वापस कोरिया आया।

यह बीमारी कोरिया ,भारत ,यूएसए समेत विश्व के 16 देशों में फैल चुका है।
इसकी पहचान पहली बार 1965 में ऑस्ट्रेलिया में किया गया।

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दिमाग खाने वाले अमीबा से होने वाला संक्रमण की बीमारी कैसे फैलता है?

अभी तक वैज्ञानिकों का इस पर किए गए शोध के अनुसार यह बीमारी नाक के रास्ते मस्तिष्क में प्रवेश करता है तथा धीरे-धीरे यह मस्तिष्क के उत्तक को नष्ट करना प्रारंभ कर देता है, जिससे एक खतरनाक संक्रमण बीमारी उत्पन्न होता है जिसे प्रथमिक अमीबिक मेंनिगोएन्सेफलाइटिस (PAM) कहां गया है।
यह बीमारी दूषित पानी से नाक साफ करने से भी फैलता है।
अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार जल वाष्प से तथा मानव से मानव से फैलने का प्रमाण नहीं प्राप्त हुआ है।

दिमाग खाने वाला अमीबा या नेगलेरिया फाउलेरिया कहां पाया जाता है ?

यह अमीबा आमतौर पर गरम मीठे पानी के स्रोत में पाया जाता है, जैसे गर्म झरना, नदी, झील इत्यादि।
यह अमीबा 46 डिग्री तक के तापमान तक पाया जाता है, तापमान बढ़ने से इसकी संख्या बढ़ती है।

इस दुर्लभ संक्रमण बीमारी से संक्रमित होने वाले मरीजों की मृत्यु दर काफी अधिक है जो कि एक विशेष डरावनी बात है। संक्रमित मरीजों की औसतन 5 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने की संभावना रहती है।
साल 2021 तक इसके 154 मरीज पाए गए हैं जिनमें से 150 की मृत्यु हो गई मात्र 4 मरीज ही संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो पाए।

दिमाग खाने वाली अमीबा से फैलने वाली बीमारी के लक्षण :-

इसका लक्षण 1 से 12 दिन के बीच में दिखाई पड़ता है, इसमें मेनिनजाइटिस के कारण सिर में दर्द होता है तथा मतली एवं बुखार की भी समस्या होती है।
गर्दन का अकड़ना, दौरे पड़ना, मतिभ्रम होना, बोलने में दिक्कत इसके प्रमुख लक्षण हैं और मरीज कभी-कभी कोमा में भी चला जाता है।

प्रथमिक अमीबिक मेंनिगोएन्सेफलाइटिस या primary amoebic meningoencephalitics नामक संक्रमण बीमारी से उपचार: –

इस संक्रमण बीमारी से बचने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा अभी तक कोई विशेष दवा नहीं बनाया गया जा सका।
परंतु एंफोटेरिसिन बी, एजिथ्रोमायकिन, फ्लुकोनाज़ोल रिफैंपिन, मिल्टफ्रोसिन, डेक्सामेथासोन के संयोजन से फिलहाल उपचार किया जा रहा है।

अमीबा :- यह एक सरल एककोशिकीय प्रोटोजोआ है, यह प्रोटिस्टा जगत (kingdom) के अंतर्गत आता है,इसका आकार निश्चित नहीं होता है। इसकी कोशिका यूकैरियोटिक होती हैं। यह कूटपाद विधि से अपना भोजन ग्रहण करता है।

अमीबा से फैलने वाले अन्य प्रमुख बीमारी –

  • पेचिस – एंटेमीबा हिस्टॉलिटिका
  • पायरिया – एंटेमीबा जिंजाबेरी

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FAQ

क्या है दिमाग खाने वाला अमीबा ?

यह बीमारी नाक के रास्ते मस्तिष्क में प्रवेश करता है तथा धीरे-धीरे यह मस्तिष्क के उत्तक को नष्ट करना प्रारंभ कर देता है, जिससे एक खतरनाक संक्रमण बीमारी उत्पन्न होता है जिसे प्रथमिक अमीबिक मेंनिगोएन्सेफलाइटिस (PAM) कहां गया है।

इस बीमारी से कैसे बचा जा सकता है ?

इस संक्रमण बीमारी से बचने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा अभी तक कोई विशेष दवा नहीं बनाया गया जा सका।
परंतु एंफोटेरिसिन बी, एजिथ्रोमायकिन, फ्लुकोनाज़ोल रिफैंपिन, मिल्टफ्रोसिन, डेक्सामेथासोन के संयोजन से फिलहाल उपचार किया जा रहा है।


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