वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक 2022, भारत को मिला पहला स्थान।Global Minority Index 2022 ,India Got First Position

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वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक 2022 : विश्व में लगभग 200 देश है, इन देशों में विभिन्न तरह के नियम कानून, शासन प्रणाली तौर तरीके हैं। इन देशों में अलग-अलग धर्म, जाति, संस्कृति, विचार के लोग निवास करते हैं। इन देशों के बीच विकास, खोज, शांति, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण,समानता, भेदभाव को कम करने के लिए विभिन्न देशों के सरकारी या निजी संस्थाओं, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा विभिन्न मुद्दों को लेकर रैंकिंग(Ranking) जारी की जाती है। ताकि सभी देशों में अच्छी मुद्दों को लेकर प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत हो और उन देशों में मौजूद असमानता को कम किया जा सके।

Global Minority Index 2022

Global Minority index

पिछले दिनों भारत के एक संस्था के द्वारा वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक (Global Minority Index)जारी किया गया।

यह सूचकांक शोध संस्थान सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस (Center for policy analysis) के द्वारा जारी किया गया जिसमें विश्व के देशों का अपने अपने अल्पसंख्यक के प्रति दृष्टिकोण के बारे में बताया गया।

वैश्विक अल्पसंख्यक रिपोर्ट:-

  • इस रिपोर्ट में विश्व के 110 देशों को शामिल किया गया।
  • जिसमें भारत को 1st स्थान प्राप्त हुआ तथा सोमालिया को 110 वां स्थान प्राप्त हुआ।

टॉप 5 country :-

देशस्थान
भारत1
दक्षिण कोरिया2
जापान3
पनामा4
अमेरिका5

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अन्य देश :-

देशस्थान
नेपाल39
रसिया52
यूके54
संयुक्त अरब अमीरात61
चीन
चीन
90
बांग्लादेश 99
पाकिस्तान104

टॉप 3 last country:-

मालदीप108
अफगानिस्तान109
सोमालिया 110

रिपोर्ट के मापदंड

वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक 2022 : सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं रिपोर्ट के लेखक दुर्गानंद झा ने कहा “इस रिपोर्ट में उनका दृष्टिकोण गणितीय रहा है। अल्पसंख्यक के प्रति राज्य के दृष्टिकोण और उनकी समावेशिता कि सीमा के आधार पर ग्रेडिंग दिया गया है”।
इस रिपोर्ट में किसी देश में धार्मिक अल्पसंख्यक की स्थिति और उनके प्रति राज्य का दृष्टिकोण का विश्लेषण हेतु वृहद मापदंडों का ध्यान रखा गया।

किन मापदंडों पर की जाती है सूचकांक

  • संवैधानिक प्रावधान
  • सरकार की नीतियां
  • देश के कानून

इस रिपोर्ट में विभिन्न देशों हमें अल्पसंख्यकों के लिए संवैधानिक प्रावधान, भूमि के कानून, अल्पसंख्यक धार्मिक वादी के प्रति राज्य का दृष्टिकोण, सार्वजनिक नीति, सर्वोच्च पद लेकर धार्मिक अल्पसंख्यकों का खुलापन आदि का भी ध्यान रखा गया।

इस रिपोर्ट का अनावरण भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के द्वारा किया गया। उन्होंने कहा भारत सदियों से कई संस्कृतियों का उद्गम स्थल रहा है, यहां पर कई विश्वास प्रणाली, धर्म, विचारधारा का विकास स्थान है।
भारत वसुधैव कुटुंबकम् के तहत पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है।

यह रिपोर्ट दुनिया में अल्पसंख्यक की स्थिति को समझने में सहायक सिद्ध होगी। अभी तक ऐसे रिपोर्ट सिर्फ विकसित देशों के द्वारा ही जारी किया जाता था, जो सिर्फ दूसरे देशों को कोसने में लगे रहते, परंतु कभी अपने अंदर नहीं देखा। कोई भी रिपोर्ट तर्क एवं तथ्य आधारित विश्लेषणात्मक होना चाहिए।

अल्पसंख्यक की परिभाषा

हमारे संविधान में अल्पसंख्यकों को लेकर विशेष प्रावधान दिए गए हैं, परंतु उनकी कोई विशेष परिभाषा नहीं है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत 1993 में पहला वैधानिक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई। जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, फारसी को अल्पसंख्यक का अधिसूचित किया गया।
जैन समुदाय को 2014 में अल्पसंख्यक के रूप में अधिसूचित किया गया। भारत में भारत की कुल जनसंख्या का 14.2, ईसाई 2.3%, सिख 1.7%, बौद्ध 0.7%, जैन 0.4% तथा फारसी 0.006% हैं।

Centre for policy analysis संस्थान

बिहार के पटना में स्थित है, इसकी स्थापना 2007 में हुई। यह एक विशेषज्ञों(Think tank) का दल है जहां पर योजना, विकेंद्रीकरण, विकास से संबंधित मुद्दा, आंतरिक सुरक्षा, विदेश नीति जिससे मुद्दों पर शोध किया जाता है।

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FAQ

वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक क्या है ?

विश्व के अनेकों देशों के बीच विकास, खोज, शांति, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण,समानता, भेदभाव को कम करने के लिए विभिन्न देशों के सरकारी या निजी संस्थाओं, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा विभिन्न मुद्दों को लेकर रैंकिंग(Ranking) जारी की जाती है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना कब हुई ?

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत 1993 में पहला वैधानिक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई।

वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक 2022 में भारत कितने स्थान पर है ?

वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक 2022 में भारत पहले स्थान पर है |

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